Tuesday 17 August 2021

स्वतंत्रता दिवस -अनुच्छेद

स्वतंत्रता दिवस

 स्वतंत्रता दिवस को भारत का राष्ट्रीय त्योहार के रूप में मनाया जाता है । यह 15 अगस्त को सारे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है । इस दिन हमें अंग्रेजों से आजादी प्राप्त हुई थी । इस  दिन पूरे देश में सार्वजनिक अवकाश रहता है । इस दिन देश की राजधानी में लालकिले की प्राचीर पर प्रधानमंत्री द्वारा झंडा फहराया जाता है । प्रधानमंत्री देशवासियों को लाल किले से देश के नाम अपना संदेश देते हैं । तीनों सेनाओं के जवान राष्ट्रध्वज को 21 तोपों की सलामी देते हैं । इस दिन सरकारी कार्यालयों, भवनों और स्कूलों पर भी झंडा फहराया जाता है । रात में इन भवनों पर बिजली के रंग- बिरंगे बल्बों से रोशनी क्या जाता है। यह दिन शहीदों की स्मृति कराने वाला दिन है । हमें देश की आजादी की रक्षा करने का व्रत लेना चाहिए ।

Monday 16 August 2021

पाठ 9 अजंता की सैर माधुरी

    पाठ 9 अजंता की सैर माधुरी


पाठ में से

1.अजंता की गुफाएँ किसने और क्यों बनवाई?
अजंता की गुफाएँ अजंता के  आस-पास के शहरों के  धनी व्यापारियों और किसानों ने मिलकर बौद्ध भिक्षुओं  के रहने और उपासना करने के लिए बनावाई थीं।

2.अजंता के चित्रों में नज़र आने वाले रंग इतने दिनों तक कैसे टिक पाए?
अजंता के बने चित्रों के रंग खनिजों से बने हैं।ये गेरू,प्योढ़ी और चूना को पीसकर गोंद के साथ मिलाकर तैयार किया जाता था।इसलिए वे आज भी कुछ समय पुराने लगतें हैं और इतने दिनों तक टिक पाए हैं।

 3. उचित उत्तर पर सही (सही ) का निशान लगाइए 

(क) अनुपमा दशहरे की छुट्टियों में कहाँ गई? 

चेन्नई शिमला महाराष्ट्र 

(ख) अनुपमा सपरिवार अपने मामाजी के घर कैसे गई? 

- बस से रेलगाड़ी से . हवाई जहाज़ से


 4. पाठ के आधार पर नीचे लिखे कथनों के सामने सही (V) या गलत (x) का निशान 

लगाइए

 (क) अजंता की गुफाएँ एक अत्यंत रमणीक जगह पर बनी हुई हैं। सही

 (ख) वे लोग लंबी और पतली आँख को सुंदर नहीं मानते थे।  नहीं

(ग) अजंता के चित्र अनेक कलाकारों की मिली-जुली प्रतिभा के उत्कृष्ट नमूने हैं। सही

 (घ) हमारी संस्कृति कितनी समृद्ध है-अजंता इस बात का प्रमाण है। सही

 (ङ) अजंता में सबसे अधिक लाल रंग का प्रयोग हुआ है।  नहीं

भाषा की बात 

1. पाठ में आए इन शब्दों में उचित स्थान पर नुक्ता (.) लगाकर शब्द को दोबारा 

लिखिए 

(क) मजे (ख) हजार (ग) लेपिज (घ) ज्यादा  (ङ) सफेद

उत्तर - मज़े हज़ार लेपिज़ ज़्यादा सफ़ेद

2. नीचे पाठ में से कुछ वाक्यों के अंश दिए गए हैं। इनमें रेखांकित शब्दों का लिंग 

पहचानकर लिखिए

 वाक्य का अंश                     लिंग

 (क) तुम्हारा पत्र मिला          पुल्लिंग

.ख) सपनों की दुनिया             स्त्रीलिंग

(ग) हज़ार साल पुरानी             स्त्रीलिंग

(घ) आस-पास के शहरों         पुल्लिंग

(ङ) ध्यान लगाना              पुल्लिंग

 (च) हमारी संस्कृति            स्त्रीलिंग


3. नीचे लिखे शब्दों के विलोम शब्द पाठ में से ढूँढकर लिखिए 

(क) धीरे - तेज़

 (ख) गाँव - शहर

(ग) निर्जीव -सजीव

(घ) बाहर - अंदर

 

जीवन मूल्य 

. • आप प्रकृति का ध्यान किस प्रकार रखते हैं? 



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मिथिला पेंटिंग का चित्र

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                                               जातक कथाएँ
 

जातक कथाओं पर आधारित भूटानी चित्रकला (१८वीं-१९वीं शताब्दी)
इन कथाओं में भगवान बुद्ध के पूर्व जन्मों की कथायें हैं। जो मान्यता है कि खुद गौतमबुद्ध जी के द्वारा कहे गए है, हालांकि कुछ विद्वानों का मानना है कि कुछ जातक कथाएँ, गौतमबुद्ध के निर्वाण के बाद उनके शिष्यों द्वारा कही गयी है। विश्व की प्राचीनतम लिखित कहानियाँ जातक कथाएँ हैं जिसमें लगभग 600 कहानियाँ संग्रह की गयी है। यह ईसवी संवत से 300 वर्ष पूर्व की घटना है। इन कथाओं में मनोरंजन के माध्यम से नीति और धर्म को समझाने का प्रयास किया गया है।

धरोहरों की रक्षा, हमारा कर्त्तव्‍य

 बात चाहे शहर की ऐतिहासिक धरोहरों की हो या प्रदेश और देश की। इनके संरक्षण में किसी एक की भूमिका नहीं होती पर जिन विशेषज्ञों की देखरेख में इनका अस्तित्व आज भी कायम है उन्हीं में से कुछ को हम आपसे रूबरू करा रहे हैं। वर्ल्ड हेरिटेज डे पर जानते हैं कि किन तकनीकों का साथ लेकर और किन परेशानियों से दो-चार होकर ये स्मारकों को मुस्कराने का मौका देते हैं।


कारण कुछ भी हो सकता है 
हर इमारत को अपने मूल रूप में सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी हमारी ही होती है और विडंबना तो यह है कि हम ही इसे नुकसान पहुँचाते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि स्मारक का प्राकृतिक रूप से क्षरण होना तो प्रकृति का नियम है, लेकिन मानव द्वारा भी उसे नुकसान पहुँचाया जाता है। 
कुछ लोग इन इमारतों पर नाम आदि कुरेदकर खराब करते हैं तो कुछ प्रतिमा आदि ध्वस्त कर इनका सौंदर्य बिगा़ड़ते हैं, परंतु वे यह


भूल जाते हैं कि जिसके निर्माण में वर्षों लगे और जो आज हमारी शान बनी हुई है, उसके साथ यह खिलवाड़ क्यों? सुधार प्रक्रिया में पहले स्थान की स्थिति देख यह तय किय जाता है कि मरम्मत की आवश्यकता है या रसायनों के प्रयोग से उसे सुधारा जा सकता है। ऐसे में ध्यान रखकर इन धरोहरों को बचाने के पूरे प्रयास किए जाते हैं।
हर जगह अलग चुनौती 
एसआर वर्मा (उपयंत्री, पुरात्तव विभाग) ने बुरहनापुर के मोती महल, जेनाबाद की सराय, परवेज साहब का मकबरा, राव रतन का महल, बेगम मुमताज की कब्र, बारहदरी आदि का अनुरक्षण किया है। वे अपने जीवन का अभी तक का सबसे चुनौतीपूर्ण और बेहतरीन कार्य नरसिंहग़ढ़ जिले में शाकाजी की छत्री के लिए किए प्रयास को बताते हैं। यहाँ इन्होंने करीब 6-7 माह की मेहनत के बाद दो मंदिरों के बीच की दूरी खत्म कर उसे पहले की ही भाँति स्वरूप प्रदान किया और गिरी हुई छत को उसी स्वरूप में बनवाया। 


श्री वर्मा कहते हैं कि किसी भी ऐतिहासिक इमारत को सुधारने के पहले उसकी नींव को मजबूत किया जाता है। बाद में दरारें, गुंबज, गलियारे को दुरूस्त करते हैं। वर्तमान में निर्माण संबंधी सुधार में मोटे पत्थर की कमी से परेशानी आती है, पर यह बात भी है कि जो़ड़ने के लिए बहुत सी सुविधाएँ आज मुहैया हैं। हमारे लिए हर स्थान पर अलग चुनौती होती है और ऐसे में अनुभव ही काम आता है। 
परेशानी तो आती है 
एके रिजबुड बताते हैं कि जब वे होशंगाबाद और बिलासपुर में संग्रहालय स्थापित करना चाहते थे, तब सबसे ज्यादा परेशानी प्राचीन प्रतिमाओं को एकत्रित करने में आई। कई बार सुदूरवन में जाना प़ड़ा तो पहा़ड़ों की च़ढ़ाई भी करनी प़ड़ी। बिलासपुर में तो एक गाँव से खासी संख्या में ऐतिहासिक धरोहरें मिलीं, लेकिन सरपंच और ग्रामीण उसे देने को तैयार नहीं थे, ऐसे में न केवल हमें कलेक्टर की मदद लेनी प़ड़ी वरन्‌ कलेक्टर को भी ग्रामीणों को समझाने में खासे प्रयास करने प़ड़े। 


नियमों से बँधे होने के कारण संभव नहीं 
प्रवीण श्रीवास्तव (केमिस्ट, पुरात्व विभाग) का मानना है कि केमिकल के साथ कार्य करना इसलिए अधिक चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि हरेक जगह की प्रकृति अलग होती है। मैंने अभी तक जिन भी स्मारकों पर कार्य किया है संतोष ही प्राप्त हुआ, क्योंकि उन स्मारकों पर मुझसे पहले किसी ने सुधार कार्य नहीं किया था। 
जूनी इंदौर स्थित गणेश मंदिर व हरसिद्धि मंदिर के लिए किए गए कार्य से आत्मिक शांति मिली। जिस प्रकार बाबियान की ध्वस्त मस्जिद को आर सेनगुप्ता ने दुरूस्त किया, उसी प्रकार का कार्य करने की मेरी भी इच्छा है, लेकिन नियमों से बँधे होने की वजह से यह संभव नहीं हो पाता।

केवल अनुभव के आधार पर निर्माण या सुधार दोनों का आधार रेखांकन ही है। यह कहना है मानचित्रकार राजेन्द्र कुमार भावसार का। इंदौर, भोपाल, ओरछा और ग्वालियर के जहाँगीर महल के लिए कार्य कर चुके श्री भावसार कहते हैं कि वे अभी केवल अनुभव के आधार पर कार्य करते आए हैं। वर्तमान में न तो मार्गदर्शन के लिए सीनियर हैं और न ही कोई उत्साहवर्द्घन करने वाला। यही नहीं तकनीकी सुविधाओं का अभाव भी है और अधिनस्थ भी कोई नहीं, जिससे खासी परेशानी होती है।


Tuesday 10 August 2021

टपके का डर- सब्जेक्टिव प्रश्न

https://forms.gle/nsZnHkKWfbRapMq88 

टपके का डर Activity

 https://www.educandy.com/site/resource.php?activity-code=cb096

टपके का डर -भाषा अभ्यास

टपके का डर -भाषा अभ्यास

1.कर्ता कारक का उदारहण
क) दादी ने पोते को उस ओर सुला दिया जहाँ पानी नहीं टपक रहा था।
ख) किसी गाँव में एक बुढ़िया रहती था।
ग) कुम्हार गधे की तलाश में भाग छूटा।
घ) पंडितजी तो वैसे ही परेशान थे।
ङ) कुम्हार यह कहता हुआ अँधेरे में गायब हो गया।

4.विराम चिह्न
क)तुम कहाँ जा रहे हो ?
 ख) मुझे पसीना आ रहा है।  
ग) ताई जी बोली," आलू तो एकदम गरम है।"  
घ)हाय! अब क्या होगा?


5.विलोम शब्द
अंधकार- प्रकाश
राजा- रंक
दुश्मन -दोस्त
आसान- मुश्किल

6.पर्यायवाची शब्द
अँधेरा - तम, अंधकार
आकाश - अंबर ,गगन
वर्षा - बरसात, बारिश
फूल - पुष्प, सुमन
7.वाक्यांशों के लिए एक शब्द
क)आस्तिक
ख)बहुमूल्य
ग)अकथनीय
घ)साप्ताहिक
ङ)निर्भय
8.जातिवाचक संज्ञाओं के व्यक्तिवाचक रूप लिखिए
जानवर - कामधेनु ,   ऐराबत
महिला - सरिता ,सुमन
पुरुष - रमेश  ,सरोज
सब्ज़ी - आलू,  बैंगन
9.विशेषण शब्द लिखिए
शेर - बलवान ,डरावना, खूँखार
झोंपड़ी - टूटी , पुरानी
जंगल - हरा-भरा ,  घना  , बड़ा
कुम्हार - मेहनती,  गरीब
पुत्र - योग्य,   अच्छा
10.शब्द सीढ़ी
मकान बटन बहना पढ़ना पतंग
नमक सड़क सबक पालक पालकी खिड़की

11.चित्र लेखन

अगर न नभ में बादल होते (भाषा अभ्यास)

   अगर न नभ में बादल होते  (भाषा अभ्यास) 1. ध्यानपूर्वक पढ़िए  कौन सिंधु से जल भर लाता?  उमड़-घुमड़, जग में बरसाता?  मोर न खुश हो शोर मचाते,...